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पड़ोसन आंटी को लंड दिखाकर गर्म किया
देसी आंटी की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं बगल वाले घर की सेक्सी आंटी को चोदने के लिए तड़प रहा था. एक दिन मैंने उसको अपना लंड निकालकर दिखा दिया तो …
हैलो मेरे सभी प्यारे दोस्तो, चुदासी आंटियो और सेक्सी लड़कियो! कैसी चल रही है सेक्स लाइफ? मुझे उम्मीद है कि सबकी चूतों को लंड और सभी लौड़ों को गर्म-गर्म चूतों का मजा मिल रहा होगा.
आज मैं आप लोगों को अपनी देसी आंटी की चुदाई कहानी बताने जा रहा हूं. इसलिए ज्यादा समय न लेते हुए मैं आपको सीधे कहानी सुनाता हूं. पुरूष मित्र अपने लौड़ों को हाथ में ले लें और महिला मित्र अपनी चूत खोल लें और मजा लें.
दोस्तो, मैं मध्य प्रदेश में रहता हूँ. मेरे घर के ही बाजू के घर में स्मायरा आंटी का घर है. उनका फिगर 30-28-32 का है. वो देखने में एक नम्बर की माल दिखती है।
हम लोग आजू बाजू रहते थे मगर कभी बात नहीं होती थी. बस उनको मैं दूर से ही देखा करता था. जब वो किसी काम से कहीं जाती हुई मुझे दिखतीं तो बस उनको देखता ही रह जाता था.
सामने से आंटी के बूब्स और पीछे से उनकी गांड देखते हुए मेरा लौड़ा तन जाता था. क्या मटकती थी यारो उनकी गांड! देखते ही मन करता था कि उसकी साड़ी को उठाकर उसकी गांड में लंड घुसा दूं.
ऐसे ही तरसते हुए दिन निकलते गये. मेरा मन और लण्ड दोनों ही स्मायरा आंटी के दीवाने होते गये. अभी तक मैं उसको कुछ नहीं बोल पाया था, बस मन ही मन चोदने की सोचता रहा और मुठ मारता रहा.
अब मैं बस यही सोचता रहता कि उनसे कैसे बात करूं? मन और लंड दोनों पर काबू करना मुश्किल होता जा रहा था. मेरा लंड हर वक्त आंटी की चूत के बारे में सोचकर खड़ा रहने लगा था.
एक दिन मैंने अपना दिमाग चलाया और हिम्मत की। मेरा घर तीन मंजिला है और आंटी का भी उतना ही था. मगर मैं सबसे नीचे वाले तल पर रहता था और आंटी दूसरे माले पर।
उनकी बालकनी के बाजू में उनका किचन था और वहीं अन्त में एक पानी की टंकी रखी हुई थी. किचन में काम करने के दौरान वो इस वजह से बार बार बालकनी में आकर आखिर तक जाती थी.
उनकी बालकनी के ठीक सामने मेरे घर का पीछे वाला दरवाजा था. उस दिन मेरे घर पर कोई नहीं था. फिर मैं पीछे गया और मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये. फिर दरवाजे को हल्का सा खोल दिया और ऊपर की ओर देखने लगा.
नंगा होते ही वैसे ही मेरे अंदर वासना जागने लगी थी. फिर ये सोचकर कि आंटी जब मेरे लंड को देखेगी तो कितना मजा आयेगा, मेरा लंड पूरा तन गया. फिर मैंने एक हाथ में एक खाली पोलीबैग लिया और उसको फेंकने के अंदाज से आवाज करता हुआ बाहर की ओर आया.
मैंने उसको फेंका और दूसरे हाथ से लंड सहलाता हुआ वहीं पर खड़ा रहा. आंटी ऊपर ही थी. मैंने ऐसे बर्ताव किया जैसे कि आंटी मुझको नहीं दिख रही है. मगर वो मुझे ही देख रही थी. फिर मैं अन्दर चला गया.
पलट कर मैंने ऊपर की ओर देखा तो आंटी जा चुकी थी. मैंने जोर से मुठ मारी और मेरा माल वहीं फर्श पर गिर गया. अब मेरी गांड फटी पड़ी थी कि अगर आंटी ने किसी को बता दिया तो क्या होगा!
मगर मैंने हिम्मत कर ली थी कि जो भी होगा देखा जायेगा. आंटी को पटाकर मैं उसे चोदकर ही रहूंगा. फिर मैंने दरवाजा बंद कर लिया और अंदर की जाली से ऊपर देखने लगा. आंटी नहीं दिखी.
फिर मैं इंतजार करता रहा. दो-तीन दिन तक किसी ने मुझे कुछ नहीं बोला. शायद आंटी ने किसी को इस बारे में नहीं बताया. इसलिए अब मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी थी. मैं फिर से वैसा ही मौका देखने लगा.
एक दिन फिर मैंने आंटी के बाहर निकलते ही वैसा ही किया. मगर अबकी बार लंड की मुठ मारते हुए मैं ऊपर देखता रहा. आंटी भी देखती रही लेकिन बार-बार नजर हटा लेती थी. वो कुछ रिएक्शन नहीं दे रही थी. मैं मुठ मारता रहा और वो देखती रही. मैं फिर से वहीं झड़ गया.
अब मुझे यकीन हो गया था कि आंटी किसी को नहीं बतायेगी. इसलिए फिर अगले दिन मैं भी अपने सबसे ऊपर वाले फ्लोर पर चला गया. आंटी के सामने जाकर दरवाजा खोलकर मुठ मारने लगा.
आंटी किचन में थी और बार-बार मेरी ओर देख रही थी और दोबारा से अपने काम में लग जाती थी. ऐसे ही मुठ मारते हुए मैं आंटी के सामने ही झड़ गया. ऐसा फिर कई दिनों तक चलता रहा.
अब मैं बिना डर के स्मायरा आंटी को अपना लंड दिखाने लगा था. मगर आंटी कोई रूचि नहीं दिखा रही थी. फिर दो दिन के बाद मैंने नोटिस किया कि आंटी अपनी ब्रा और पैंटी को बालकनी में ही सुखाने लगी है.
कभी पिंक पैंटी तो कभी ब्लू, कभी गेहूं रंग की ब्रा और तो कभी फूलों के प्रिंट वाली. मैं आंटी के सामने मुठ मारता रहता और वो देखती रहती और मैं झड़ जाता. बस इससे आगे कुछ नहीं हो रहा था.
फिर एक दिन मैंने आंटी के घर से जोर-जोर से लड़ाई होने की आवाजें सुनाई दीं. फिर मैंने बाहर निकल कर देखा तो उसी वक्त कुछ गिरने की आवाज हुई. मैंने नीचे देखा तो उनके पति ने खाना ऊपर से फेंक दिया था और आंटी बालकनी पर खड़ी हुई रो रही थी.
मैंने इशारे में आंटी से पूछा कि क्या हुआ तो उसने ना में गर्दन हिला दी और फिर अंदर चली गयी. उसके बाद मैं दो-तीन दिन तक पीछे की तरफ नहीं गया और न ही छत पर गया.
फिर चौथे दिन मैं फिर से ऊपर गया और आंटी के सामने लंड हिलाने लगा. वो मुझे देखने के बाद अंदर चली गयी और फिर एक कागज को किसी चीज में लपेट कर नीचे फेंक दिया.
मैं जल्दी से मुठ मारकर नीचे गया और कागज खोलकर देखा तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. कागज पर आंटी का फोन नम्बर लिखा हुआ था. मैंने तुरंत कॉल किया और अपना नाम अली बता दिया. मैंने कहा कि मैं आपकी बाजू वाला लड़का बोल रहा हूं.
फिर हम बातें करने लगे. मैंने देसी आंटी से कहा कि मैं आपको फक करना चाहता हूं.
वो बोली कि अभी नहीं कर सकते हैं, कुछ दिन रुक जाओ. जब मेरे घर पर कोई नहीं होगा तो मैं बता दूंगी.
उस दिन के बाद से हम दोनों में रोज बातें होने लगीं. अब हम लंड और चूत जैसे शब्द फोन पर आराम से बोल लेते थे.
मैंने आंटी से कहा कि तुम्हें कितने दिन से पटाने में लगा हुआ था मैं, तुमने मुझे लाइन क्यों नहीं दी?
आंटी बोली कि वो अपने पति से बहुत डरती है और वो उसको मारता भी है.
मैंने कहा- तो जब मैं आपको लंड दिखाता था तो कैसा लगता था?
वो बोली- पहले दिन तो मैं डर ही गयी कि इस लड़के को ये क्या हो गया जो बाहर नंगा घूम रहा है! उसके बाद फिर मुझे अच्छा लगने लगा. मैं जान गयी कि ये मेरे लिये ही नंगा होकर आता है.
मैंने पूछा- तो जब मैं आपके सामने मुठ मारता था तो आपको कुछ नहीं होता था?
वो बोली- पहले तो मुझे अच्छा नहीं लगता था लेकिन बाद में फिर मजा आने लगा. मेरी चूत भी लंड को देखकर गीली होने लगी थी. फिर तो मैं तुम्हारा ही वेट करती थी कि कब तुम आओगे और अपना लंड हिलाओगे, तुम्हारा लंड मेरे पति से बहुत लम्बा और मोटा है.
इस तरह से मैं रोज आंटी के साथ फोन पर सेक्सी बातें करता.
फिर एक दिन आंटी का फोन आया कि उनके घर पर कोई नहीं है, आ जाओ.
मैं दौड़कर अपनी गली में गया. बाहर झांककर देखा कि कोई मुझे देख तो नहीं रहा है और फिर चुपके से आंटी के घर में घुस गया. मैं सीढ़ियों से ऊपर गया तो आंटी दरवाजे पर खड़ी होकर मेरा ही इंतजार कर रही थी.
हम दोनों अंदर गये और दरवाजा बंद करते ही एक दूसरे को चूसने लगे. हम दोनों सेक्स से भरे हुए थे और चूमा चाटी किये जा रहे थे. आंटी ने मैक्सी पहनी हुई थी. मैं किस करते हुए उसकी मैक्सी के ऊपर से उसके चूचे भी दबा रहा था.
मेरा लौड़ा पूरा सख्त था और मैं उसको देसी आंटी की चूत पर रगड़ने की कोशिश कर रहा था. फिर मैंने उसकी मैक्सी को ऊपर उठाकर निकलवा दिया. उसने नीचे से चूचियों पर ब्रा ही पहनी हुई थी और आंटी की चूत नंगी ही थी.
मैं तो आंटी की चूत को देखता ही रह गया. उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था. फिर मैंने उसको ब्रा खोलने को कहा तो उसने तुरंत अपनी ब्रा के हुक खोलना शुरू किया और मैं भी अपने कपड़े उतारने लगा.
अब हम दोनों ही नंगे थे और मेरा लंड फनफना रहा था. हम नंगे जिस्म दोनों एक दूसरे से चिपक गये और मैं उनको किस करने लगा. अब मैं स्मायरा आंटी के चूचों को जोर जोर से दबा रहा था और वो सिसकार रही थी.
फिर मैं मेरा हाथ नीचे उसकी चूत पर ले गया और एक हाथ से चूचे दबाते हुए दूसरे से उसकी चूत को सहलाने लगा. आंटी अब मचलने लगी थी. तभी मैंने एक उंगली आंटी की चूत में डाल दी और वो उचक गयी.
मैं चूत में उंगली चलाने लगा तो वो जोर से सिसकारने लगी- आह्ह … आऊच … आराम से करो … मैं कहीं भागी नहीं जा रही! पांच मिनट तक मैं आंटी की चूत में उंगली करता रहा और उसकी चूत गीली हो होकर चुदने के लिए तड़प उठी और आंटी मेरे लंड को पकड़ कर जोर जोर से मुठ मारने लगी.
वो मुझे खींचते हुए बेड पर ले गयी और फिर मैंने उसको पीछे धक्का दे दिया. वो नीचे लेट गयी और उसके पैर घुटनों से मुड़कर बेड के नीचे लटक गये. मैं अपने घुटनों पर बैठा और आंटी की चूत में मुंह लगा दिया.
मैं जोर जोर से देसी आंटी की चूत को चूसने लगा. वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी और सिसकारते हुए बोली- आह्हह … आऊऊऊ … ह्ह्ह … चूसो … आह्ह और जोर से … ऊईई मां … उफ्फ … पूरी चूस लो।
मुझे भी चूत चाटना बहुत पसंद था. मैं उसकी चूत चाटता रहा और वो फिर एकदम से अकड़ गयी. चूत का रस छूटा और मैंने उसकी चूत का सारा पानी पी लिया.
वो बोली- पहली बार मैंने चूत चटवाई है. मेरा पति कभी नहीं चाटता. मुझे तो बहुत मजा आ गया आज।
मैं बोला- मेरी जान … अभी तो असली मजा आना बाकी है, जब मैं तेरी चूत में लंड डालकर चोदूंगा.
वो बोली- तो फिर देर क्यों कर रहे हो, चोद दो ना मुझे!
मैंने कहा- पहले मेरे लंड को भी मजा दे दो.
वो मेरा इशारा समझ गयी और बोली- मैंने कभी मुंह में नहीं लिया. बस चूत में लेकर ही सेक्स किया है. मगर तुमने मुझे इतना मजा दिया इसलिए मैं भी तुम्हें मजा दूंगी.
फिर वो उठी और मैं एक तरफ बैठ गया. उसने मेरे लंड को हाथ में लिया और गौर से देखा. मेरे लंड पर रस लगा हुआ था. उसने उसको हाथ से साफ किया और फिर नीचे झुककर मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया.
आंटी के मुंह में लंड जाते ही मैं तो हवा में उड़ने लगा. मुझे मस्त मजा आ गया. फिर वो मुंह चलाने लगी. मगर आंटी को चूसना नहीं आ रहा था.
मैंने कहा- इसको कुल्फी की तरह चूसो. जैसे कोई बच्चा लॉलीपोप चूसता है.
वो वैसे ही चूसने लगी और थोड़ी ही देर में सीख गयी. अब वो मस्त मजा दे रही थी.
मैंने पूछा- कभी लंड का पानी पीया है?
उसने चूसते हुए ना में गर्दन हिला दी.
मैंने कहा- ठीक है, तो अभी मैं तुम्हें लंड का रस नहीं पिलाऊंगा.
फिर वो चूसती रही. कुछ देर के बाद मेरा निकलने को हो गया तो मैंने लंड को बाहर निकाल लिया.
फिर मैं मुठ मारने लगा और अपने हाथ पर अपना माल निकाल लिया. उसको माल दिखाया और फिर पौंछ दिया. हम दोनों फिर लेट गये. उसके कुछ देर बाद फिर से किस करने लगे.
मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा और वो मेरे लंड को हाथ से आगे पीछे करने लगी. फिर हम 69 की पोजीशन में आ गये और फिर दोनों एक दूसरे को चूसने लगे.
कुछ देर बाद मैं बोला- स्मायरा, अब तुम्हारी चूत में डाल दूं अपना लंड?
वो बोली- हां डाल दो, मेरी चूत में अब बहुत बेचैनी हो रही है.
फिर हम डाइनिंग टेबल पर आये और मैंने उसको ऊपर बिठा दिया.
मेरी हाइट 6 फीट है तो लंड ठीक उसकी चूत के सामने आ रहा था. मैंने उसके दोनों पैरों को एक एक करके दोनों कंधों पर रखवा लिया. फिर मैंने धीरे से चूत पर लंड लगाया और अंदर धकेल दिया.
देसी आंटी के मुंह से निकला- आआ … आराम से!
फिर मैं उतने ही लंड को आगे पीछे करने लगा. उसको अच्छा लगने लगा.
मैं बोला- अभी आधा ही गया है.
वो मेरे चेहरे को देखने लगी और मैं उसको देखने लगा. फिर ऐसे ही देखते देखते मैंने उसकी चूत में लंड चलाते हुए पूरा अंदर सरका दिया. उसका चेहरा लाल हो गया और बोली- आह्ह … मार ही डालोगे तुम आज … आह्ह … मर गयी … कितना मोटा और लम्बा है ये!
फिर मैं उसे चोदने लगा और देसी आंटी सिसकारते हुए कहने लगी- हां … आह्ह … और चोदो … आह्ह … अच्छा लग रहा है … उफ्फ … आह्ह करते रहो।
मैं अब पूरी ताकत से स्मायरा आंटी की चुदाई किये जा रहा था. जैसे ही लंड पूरा अंदर जाता तो मेरी जांघें आंटी की गांड से टकरा जाती थीं. फट फट की आवाज जोर जोर से हो रही थी जिससे मुझे और ज्यादा जोश चढ़ रहा था.
कुछ ही देर में वो सिसकारी- आह्ह … आईई … आह्ह … आ रही हूं … अली आह्ह … आ गयी मैं।
मैंने तुरंत उसकी चूत से लंड को निकाला और चूत पर मुंह रख दिया. वो मेरे मुंह में झड़ने लगी और मैं उसकी चूत का रस पीने लगा.
चूत पर मुंह लगते ही वो तड़प उठी. मैंने उसकी चूत को पूरी चाट लिया. वो बोली- फिर से पेल दो. मेरी चूत में आग लगी हुई है. इसकी आग को बुझा दो.
मैंने फिर से लंड घुसाया और अबकी बार लंड आराम से अंदर चला गया. मैं उसको किस करता हुआ फिर से चोदने लगा. कुछ देर बाद मुझे लगने लगा कि मेरा छूट जायेगा.
स्मायरा आंटी से मैंने कहा- मेरा होने वाला है … कहां निकालूं?
वो बोली- मेरे अंदर ही निकालो, मैं तुम्हें महसूस करना चाहती हूं. मैं बाद में गोली खा लूंगी.
मैं उसको और तेजी से चोदने लगा और तीन-चार धक्के लगाकर उसकी चूत में ही झड़ गया. वो मेरे लंड से मिला आनंद बर्दाश्त नहीं कर पाई और एक बार फिर से झड़ गयी.
थककर मैं उसके ऊपर ही लेट गया. फिर मैंने लंड को बाहर निकाल लिया. उसके बाद मैं उसे बेड पर ले गया और चूमने लगा. वो भी मेरे बालों को सहलाती रही.
देसी आंटी ने मुझे थैंक्स बोला और कहा- आज का सेक्स करके तो मुझे पहली बार इतना मजा मिला है. मुझे नहीं पता था कि सेक्स में इतना मजा भी हो सकता है.
मैं बोला- अब ऐसा मजा मैं तुम्हें देता रहूंगा.
उस दिन के बाद मैंने न जाने कितनी बार देसी आंटी की चुदाई की. वो अब मस्ती से मेरे नीचे चुदती थी और मैं भी उसकी चूत चोदकर मजा लेता रहा.
मैं चुद गई अंकल और उनके दोस्तों से
मैं चुद गई अंकल और उनके दोस्तों से
कॉलेज की लड़की की इंडियन चुदाई का मजा लें. मुझे अंकल ने चोदा ऑफिस में लेजाकर. वहां उनके कुछ दोस्त भी थे. इतने लोगों के सामने मेरी नंगी चुदाई की कहानी पढ़ें.
हैलो! मैं कॉलेज की लड़की सुमीना, अपने पड़ोसी अंकल के साथ उनके ऑफिस में अपनी इंडियन चुदाई की बेकरारी में मर्दों की गोद में खेल रही थी.
इसकी डिटेल जानने के लिए इस इंडियन चुदाई कहानी का पिछला भाग
मैं चुद गई अंकल और उनके दोस्तों से- 1
जरूर पढ़ें.
अब आगे पढ़ें कि कैसे मुझे अंकल ने चोदा:
अंकल ने कहा- सुमीना, तुम बहुत भारी हो, एक काम करो तुम टेबल पर लेट जाओ.
मेरी कहां चल रही थी, सबने मुझे टेबल पर लिटा दिया. एक व्यंजन की तरह मैं सबके सामने परोसी हुई थी.
शायद एक ने मेरे दिल की आवाज सुन ली और अंकल से कहा- सुमीना, तो केक की तरह लग रही है. जी कर रहा है कि सब मिल कर चख लें.
अंकल ने कहा- तो मैं मना कर रहा हूं क्या, चख लो.
सबको शायद इसी का इंतजार था. वो लोग टूट पड़े. कोई मेरे स्तनों को मसल रहा था, कोई निप्पल चूस रहा था, कोई मेरी जांघों से खेल रहा था. हर कोई मेरे अंग अंग को चूम रहे थे. एक एक करके सब मेरे होंठों को चूम चूस रहे थे.
सबने मुझे चखा और अलग हट गए.
अंकल ने मेरी चूत को चूसा तो मैं एकदम से गरमा गई.
मैंने अंकल की तरफ देखा, जो अपने कपड़े उतार रहे थे.
एक ने पूछा- क्या कर रहे हो?
अंकल ने कहा- चूत चख कर भूख बढ़ गई है. अब तो पेट भरना पड़ेगा.
अंकल अपने कपड़े उतार कर टेबल कर आ गए और मेरी जांघों को फैला कर अपना लंड मेरी चूत पर सटा दिया. फिर दबाव देकर लंड चूत के अन्दर ढकेलने लगे. मेरी चूत से पानी आ रहा था इसलिए लंड आसानी से अन्दर चला गया.
अंकल ने मुझे बांहों में समेटा और मेरे गालों और गले को हल्के से चूमते हुए बोले- सुमीना रानी, हम तो तुम्हें अनछुई कली समझ रहे थे, पर तुम तो पहले भी लंड खा चुकी हो.
मैंने कुछ नहीं कहा. उनकी बात सच थी. मैंने ऊपर लिखा भी है कि इससे पहले भी तीन लोग मेरी जवानी का मजा चख चुके थे. मेरी चूत की सील मेरे कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष, जो अभी अंतिम वर्ष में था, ने तोड़ी थी.
हालांकि उसमें पूरी तरह से मेरी मर्जी भी नहीं थी. उसने मुझे मेरे बायफ्रेंड के साथ कैमिस्ट्री लैब में पकड़ लिया था. बायफ्रेंड डरपोक निकला.. तो वो मुझे छोड़ कर भाग गया. पर छात्र संघ के अध्यक्ष ने मुझे धमका करके मेरी चूत की सील तोड़ दी.
उसके बाद दो महीने तक उसने मेरे जिस्म का खूब मजा लिया और तीन बार उसने मुझे अपने दो दोस्तों को भी परोस दिया.
खैर वो अलग कहानी है. अभी मुद्दा कुछ और है.
अंकल धीरे धीरे मेरी चूत में लंड के धक्के लगाने लगे थे. मुझे भी मेरी इंडियन चुदाई का मजा आने लगा था. वो बीच बीच में रूक कर मेरे स्तनों को मसल देते, या मेरे निप्पल चूस लेते या मेरे होंठों को चूसने लगते.
अंकल को थोड़ा उम्र का तकाजा था, सो वे पांच मिनट में ही मेरी चूत में पानी छोड़ कर खड़े हो गए.
उनके खड़े होते ही दूसरा कपड़े उतार कर मेरे ऊपर आ गया और मेरी चूत में अपना लंड डाल कर धक्के लगाने लगा. उम्र में ये भी अंकल के बराबर ही था इसलिए इसने भी पांच मिनट में ही मेरी चूत में पानी छोड़ दिया और खड़ा हो गया.
इसके बाद तीसरे ने मेरे ऊपर आकर मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया और धक्के लगाने लगा. इसकी ताकत भी अच्छी थी और लंड में दम भी काफी था. हर एक धक्के पर लगता था कि वो मेरी चूत के सबसे निचली सतह को छू गया.
उसे चूत में पानी छोड़ने में काफी टाईम लग रहा था और इसी वजह से चौथा बेसब्र हो रहा था. उसने अपना लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया और मुझे हस्तमैथुन करने को कहने लगा.
मैं उसके लंड को अपने हथेली से मसलने और सहलाने लगी. जो आदमी मेरी चूत में अपने लंड से धक्के लगा रहा था, अब उसने मेरी चूत में पानी छोड़ दिया था और साथ ही चौथे ने भी पानी छोड़ दिया था. उनके बाद पांचवां मेरे ऊपर चढ़ गया उसने भी मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया और धक्के लगाने लगा. वो भी पांच मिनट में ही मेरी चूत में पानी छोड़ कर खड़ा हो गया.
अब सब अपना अपना अंडरवियर पहनने लगे, तभी चपरासी दौड़ते हुए अन्दर आया और उसने अंकल के कान में कुछ बोला.
उसकी बात सुनकर सब सकते में आ गए. अंकल मेरे पास आए और हड़बड़ाते हुए मुझे उठाकर मुझे बाथरूम के पास ले गए.
वे मुझसे बोले- सुमीना, जल्दी से बाथरूम में छुप जाओ, बड़े साहब आ रहे हैं. तुमको इस हालत में देख लेंगे तो पुलिस बुला लेंगे.
पुलिस के नाम से मुझे भी थोड़ा डर लगा. उन्होंने बाथरूम का दरवाजा खटखटाया, दरवाजा खुला और दो लड़के बाहर झांकने लगे.
अंकल ने जल्दी से कहा- इसे अन्दर ले लो.
दोनों ने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और बोले- अन्दर ले तो लें, पर कुछ नहीं करेंगे. इसकी गारंटी नहीं ले सकते.
अंकल झल्ला कर बोले- जो करना है करो, बस इसको अन्दर ले लो.
दोनों ने एक एक हाथ से मेरे स्तनों को पकड़ा और मुझे अन्दर खींचने लगे. मेरे अन्दर पहुंचते ही दोनों ने दरवाजा बंद कर लिया.
वे दोनों नंगे थे, दोनों ने मुझे नहलाया और मेरी चूत में उंगली डाल कर साफ किया.
उसके बाद उनमें से एक ने मुझे दीवार पर सटाया और मेरी जांघें फैला कर मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया.
वो धीरे धीरे धक्के लगाने लगा, दूसरा मेरे स्तनों से खेल रहा था. धीरे धीरे उसके धक्के तेज होते गए और पन्द्रह मिनट बाद वो मेरी चूत में पानी छोड़ने लगा.
उसके अलग होते ही दूसरे ने मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया. उसे भी चूत में पानी छोड़ने में पन्द्रह मिनट लगे.
तब दोनों ने अपने अपने कपड़े पहने और जाने लगे.
उनमें से एक ने कहा- रानी तुम्हें नहलाना जरूरी था, हमें चुदी चूत और रौंदे हुए फूल पसंद नहीं हैं.
मैंने पूछा- तुमको कैसे पता चला कि मैं चुदी हुई थी?
तो उसने मुझे दरवाजे में कान लगा कर सुनने को कहा.
मैंने दरवाजे से कान लगा दिया. उधर बातें चल रही थीं.
एक भारी आवाज ने कहा- मेरे लिए माल का इन्तजाम किया?
एक आवाज आई- जनाब, माल बाथरूम में नहा धोकर तैयार है.
उसी भारी आवाज ने कहा- मुझे कॉलेज की कड़क लौंडिया चोदना पसंद है.
एक और आवाज आई- ये कॉलेज की माल ही है.
उसी भारी आवाज ने फिर कहा- अगर मेरे स्पेशल फरमाईश पर ना नुकर करेगी तो!
अंकल की आवाज आई- पुलिस बुला कर साली को उसके हवाले कर देंगे और वेश्यावृत्ति का केस लगवा देंगे. जब रात भर लाकअप में बीस बाईस पुलिस वाले मनमानी इंडियन चुदाई करेंगे, तो पता चलेगा साली को.
ये सुनकर मेरी तो हड्डियों तक में सिहरन हो गई.
उसी भारी आवाज ने कहा- दरवाजा खुलवाओ.
दो पल बाद अंकल दरवाजा खटखटा रहे थे. मैं सोच रही थी कि क्या करूं, तभी पीछे वाला दरवाजा खुला और जिसने मुझे नहलाया था, वो अन्दर आ गया. उसने बाथरूम का दरवाजा खोला और वापस उसी दरवाजे से बाहर चला गया. आवाज से पता चल गया कि बाहर से दरवाजा लगा दिया गया.
अंकल ने इधर का दरवाजा खोला और मुझसे कहा- साहब आ रहे है अन्दर, ठीक से खुश करना. वरना …
आगे अधूरा छोड़ कर वो बाहर निकल गए. अगले ही पल एक कसरती बदन का जवान मर्द, नंगे बदन अन्दर घुसा, उसका लंड काफी मोटा और लम्बा था. अन्दर आकर उसने दरवाजा बंद कर दिया.
उसने एक क्रीम की ट्यूब उठाई और अपने लंड पर लगाने लगा. जब लगा चुका, तो उसने मुझे पीछे घूम जाने को कहा. मुझमें न कहने की तो हिम्मत ही नहीं थी सो पीछे घूम गई. उसने मुझे झुकने को कहा. मैं झुक गई.
अचानक मुझे महसूस हुआ कि वो मेरी गांड के छेद पर अपना लंड सटा रहा है. इस तरह से पहले कभी चुदाई नहीं की थी. पर विरोध करने की हिम्मत नहीं थी. उसने अपने पेट और छाती का भार मेरी पीठ पर डाल दिया और मेरी बांह के नीचे से हाथ लाकर मेरे स्तनों को थाम लिया.
अचानक उसने एक तेज झटका दिया और पूरा लंड मेरी गांड फाड़ते हुए अन्दर घुस गया. न चाहते हुए भी एक तेज चीख मेरे मुँह से निकल गई. मैंने कस कर अपनी हथेली से मुह बंद कर लिया ताकि बाहर कोई आवाज न सुन ले.
वो मेरे स्तनों को मसलता रहा और मेरे गले के पास चूमता रहा.
जब मैं थोड़ा शांत हुई, तो उसने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू कर दिया. गांड में लंड लेने में मुझे अभ्यस्त होने में पांच मिनट लगा.
और फिर उसके धक्कों की गति बढ़ती गई. दस मिनट तक लगातार गांड में लंड धक्के लगाता रहा. पर उसका लंड ज्यों का त्यों कड़क गांड में पिस्टन सा चल रहा था.
अचानक उसने लंड बाहर खींच लिया. मैंने पलट कर देखा.
तो उसने मुझे फर्श पर लेटने को कहा.
मैं लेट गई.
उसने मेरी जांघें फैला कर मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया और धक्के लगाने लगा. बीच बीच में रूकता और मेरे स्तनों के निचले हिस्से पर काट लेता, मेरे निप्पल को काट लेता या मेरे होंठों पर दांत गड़ा देता. उसके बाद फिर धक्के लगाने लगता.
पूरे पन्द्रह मिनट बाद उसने मेरी चूत में पानी छोड़ दिया और दरवाजा खोल कर बाहर निकल गया.
बाहर निकल कर उसने कहा- मजा आ गया, चलो अब मैं चलता हूँ. साली छिनाल की गांड की सील अभी टूटी है. देख लेना. इसको कुछ खून वून आ रहा हो, मरहम पट्टी कर देना.
इसके बाद आवाजें आना बंद हो गईं. दो मिनट के बाद चपरासी मेरे कपड़ों के साथ आया और कपड़ों को साईड में रख कर उसने मुझे उलटा किया. मेरी गांड के छेद कर उसने बर्फ का एक टुकड़ा रखा और सिकाई करने लगा.
मैंने सारा खेल समझ लिया था. इसलिए उस चपरासी से सीधे पूछा- जूस गलती से गिरा था या जानबूझ कर गिराया था.
उसने कहा- जानबूझ कर.
मैंने पूछा- चक्कर क्या था?
उसने बताया कि तेरे ये अंकल और बाकी लोग अक्सर कॉलेज की लड़कियों को, जो आस पास रहती हैं.. उनको लेकर आते हैं. किसी न किसी तरीके से कपड़े उतवा कर ऐसे हालात बनाते है कि वो मजबूरी में सबके साथ ये सब बिना विरोध करे. फिर वे लड़की को अपने तीन साहबों में से किसी एक को या तीनों को उस लड़की को परोस देते हैं.
मैंने पूछा- क्या एक लड़की एक बार से ज्यादा भी आती है?
उसने कहा- ऐसा कभी कभी ही होता है. अक्सर नई लड़कियां ही आती हैं, कोई बहुत जबरदस्त माल हो, तो तीन चार बार आ जाती है. पर दूसरी बार बहाना नहीं करना पड़ता. सीधे चुदाई होती है.
मैंने कहा कि दूसरी बार कौन आने को तैयार होती होगी?
उसने बताया कि बाथरूम में गुप्त कैमरा लगा है और कहीं रिकार्डिंग चल रही होती है.
इस बात से मुझे खुद पसीना आ गया. चपरासी ने कहा- आपका बदन देख कर लगता है कि आपके दो तीन चक्कर और लगेंगे.
मैंने पूछा- जब कोई लड़की नहीं मिलती तब?
उसने कहा- ऐसा होता तो नहीं है. पर ऐसा होने पर ये अपनी पत्नियों को ले आते हैं.
मैंने पूछा कि कोई कॉन्डम तो इस्तेमाल कर ही नहीं रहा था, किसी को गर्भ ठहर गया तो?
उसने बताया कि जूस में गर्भ न ठहरने की दवा मिली होती है. साथ ही एक साथ कई लंड झेलने की दवा भी मिली रहती है.
सिकाई करके उसने मुझे उलटा किया और मेरी जांघें फैला कर मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया. वो धक्के लगाने लगा और पांच मिनट में मेरी चूत गीली करके उठ गया.
उसने मुझे नहलाया और कपड़े पहनाए.
मैं बाहर निकली, तो अंकल बैठे थे. मैं उनके साथ बाहर आई और उन्होंने मुझे बाईक से घर पहुंचा दिया.
जब मैं घर के अन्दर जाने लगी, तो वो बोले- सुमीना, किसी से कुछ मत कहना. और अगली बार बुलाऊं तो चुपचाप घर में बहाना बना कर आ जाना. नहीं तो वीडियो गलत हाथ में भी जा सकता है.
मैंने सर हिलाया तो वो बोले- मैं तुम्हें दो तीन बार और ले जाऊंगा. उससे ज्यादा परेशान नहीं करूंगा, उसके बाद मेरा मन भर जाएगा. तुम चलना और कपड़े उतार कर मेरे रूम में बैठ जाना, जितने लोग आएं, उनकी प्यास बुझा देना बस.
मैंने सर हिलाया तो अंकल ने बाईक आगे बढ़ा दी.
इस तरह मुझे अंकल ने चोदा ऑफिस में. आगे क्या हुआ फिर कभी लिखूंगी.
यद्यपि ये इंडियन चुदाई कहानी एक प्रताड़ना जैसी है मगर मेरे लिए ये एक सुखद अनुभव था, जिसने मेरी फंतासी को पूरा किया था कि एक ही दिन में मुझे कई लोग चोदें.
हालांकि गांड मारे जाने से मुझे दर्द हुआ था मगर मेरी फंतासी में तो एक साथ सैंडविच सेक्स का भी समावेश था. जिसमें तो एक साथ गांड और चूत दोनों में ही लंड चुदाई करता है.
अगली बार शायद मैं खुद ही ये कोशिश करूंगी कि उन लोगों के साथ एक साथ दो लंड का मजा लेते हुए सैंडविच सेक्स भी करवा लूं.
मुंह बोली बहन के साथ सेक्स का पहला मजा
दोस्त की बहन मुझे लव करती है
दोस्त की बहन मुझे लव करती है
मैं अपने पक्के दोस्त के घर जाता हूँ. उसकी बहन मुझे लाइन देती है. एक दिन उसने मुझे साफ़ साफ़ कह दिया कि वो मुझे चाहती है. मैं क्या करूं?
अन्तरवासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।
मेरा नाम सागर साहू है, मैं छत्तीसगढ़ का रहने वाला हूँ। मैं एक साधारण सा लड़का हूँ, हाइट 5 फ़ीट 6 इंच है।
और ये जो मैं लिख रहा हूँ मेरी सच्ची घटना है जो मेरे साथ घट रहा है।
दोस्तो, बात एक महीने पहले की है जब मैं पोस्ट ग्रेजुएशन की क्लास में जा रहा था। तब मैंने गौर किया कि एक लड़की जो दोस्त की बहन है, जिसके यहाँ मेरा आना जाना लगा रहता है, उसका नाम सुशी है, वो मुझे बहुत घूर के देखती और मुस्कुरा देती है।
ऐसे ही कुछ दिनों तक चलता रहा.
एक दिन मैंने उसकी सहेली हुमा से पूछा- ये सुशी इतनी मुस्कुराती क्यों है?
तो वो बोली- सुशी आपको पसन्द करती है.
मैं अचंभित हो गया क्योंकि वो मेरे दोस्त की बहन थी, मैंने कभी उसे उस नज़र से नहीं देखा था और न ही कभी सोचा था उसके बारे में।
और मेरे मुंह से एकदम निकल गया- मैं नहीं करता बाबा, मुझे इस सब से दूर रहना है।
फिर उसके घर मेरा आना जाना लगा रहा और धीरे धीरे मैं भी उसे देखने लगा.
सुशी के जिस्म का परिचय करवाता हूँ दोस्तो:
सुशी की हाइट सामान्य है 5 फ़ीट 3 इंच, फिगर में चूतड़ 36 इंच, पेट 30 इंच और बूब्ज 34 इंच के होंगे। इतने हॉट बदन को देखकर अब मैं बेकाबू सा होने लगता हूं। लेकिन दोस्त की बहन समझकर कंट्रोल कर लेता हूं।
ऐसे ही कुछ दिनों तक चलता रहा.
फिर मेरा बर्थडे का दिन आया और सुशी ने बर्थडे विश किया और गिफ्ट भी दिया जो मैंने सहर्ष स्वीकार कर लिया. लेकिन मैंने भी उसके हाथ को पकड़ लिया तो और फिर वो अपना हाथ छुड़ाने लगी और मैंने भी छुड़ाने पर उसका हाथ छोड़ दिया।
हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही देखने लगे. लेकिन मेरे दिमाग में एक ख्याल आया कि उसका भाई मेरा अच्छा दोस्त है और मैं उसको ही धोखा देने जा रहा हूँ।
यह सोचकर मैंने सुशी को देखना बन्द कर दिया. वो बार बार देखती रहती लेकिन मैं ध्यान नहीं देता।
क्योंकि सुशी का भाई मेरा अच्छा दोस्त है तो घर आना जाना लगा रहता है. और ये सब सुशी को अच्छा नहीं लगता था क्योंकि वो मुझे पंसद करती थी लेकिन मैं दोस्त की बहन समझकर ध्यान नहीं देता था।
एक दिन ऐसा आया कि उसने अपने दिल की बात मेरे सामने खोल कर रख दी।
वो बोली- मैं आपको पसंद करती हूं।
तो इतने में मैं बोला- तुम मेरे दोस्त की बहन हो … और मैं ऐसा नहीं कर सकता।
और मैं उसे अनदेखा करने लगा. फिर भी मैं उनके घर जाता रहा और वो मुझसे चिढ़ने लगी।
और एक दिन ऐसा आया कि मैं सुशी के भाई विक्की की पढ़ाई में कुछ मदद कर रहा था उसी के घर में … और उसी दिन विक्की से मिलने कोई लड़की आयी.
ये सब देखकर सुशी ने सबके सामने अपने भाई को बोला- सागर अच्छा लड़का नहीं है, उसके साथ मत रहा कर!
यह सुनकर मुझे अच्छा नहीं लगा।
सुशी ने ऐसा दिखाया कि मेरी वजह से उसका भाई बिगड़ रहा है।
फिर एक दिन सुशी की सहेली हुमा से बात हुई तो उसने बताया- सुशी आपको बहुत पसंद करती है और किसी भी हद तक जाने को तैयार है। मतलब आपके लिए कुछ भी करने को तैयार है।
इस बात को सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए कि कोई लड़की मुझे इतना पसंद करती है जो कुछ भी कर सकती है मेरे लिए।
एक दिन मैंने उसे मिलने के लिए बुलाया और वो आ भी गयी.
तो मैंने उसे पूछा- आप मुझको कब से पसन्द करती हो?
तो सुशी बोली- पिछले दो साल से!
फिर मैंने पूछा- मेरे लिए क्या कर सकती हो?
तो सुशी शर्माती हुई बोली- आप जो बोलो?
फिर मैंने परीक्षा लेते हुए उससे कहा- चलो कुछ करो!
तो सुशी ने शर्माते हुए मुझे अपनी बांहों में लेकर हग कर दी.
और मैं देखता रह गया।
फिर डर के मारे मैं वहाँ से दौड़ता हुआ घर आ गया।
तो बताओ दोस्तो … अब मैं क्या करूँ?
अपने दोस्त के साथ सच्ची दोस्ती निभाऊं या उसकी बहन के साथ कुछ और करूँ?
अगर मैं उसकी बहन सुशी से दोस्ती नहीं रखता तो पता नहीं वो मेरे साथ क्या कर डाले बदले की भावना से!
गर्लफ्रेंड ने चूत चुदाई के लिए घर बुलाया
गर्लफ्रेंड ने चूत चुदाई के लिए घर बुलाया
मेरी गर्लफ्रेंड सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरी दोस्ती अपने मोहल्ले की एक हॉट सेक्सी लड़की से हुई और एक रात उसने मुझे अपने घर बुला कर सेक्स किया.
दोस्तों और अन्तर्वासना के सभी पाठकों को नमस्कार. मेरा नाम राज़ है मैं उत्तर प्रदेश के बरेली से हूँ. अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली सेक्स कहानी है. अपनी इस गर्लफ्रेंड सेक्स कहानी को शुरू करने से पहले ही मैं इसमें होने वाली गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.
पहले मैं आप सभी को अपनी हॉट गर्लफ्रेंड के बारे में बता रहा हूँ. मेरी गर्लफ्रेंड का नाम ज़िया है. ज़िया बहुत ही सेक्सी, हॉट और मस्त लड़की है, जिसके पीछे मोहल्ले के सब लड़के पड़े थे. ज़िया का फिगर 30-28-32 का है. उसकी गांड एकदम गोल है और नुकीली चूचियां मस्त मुलायम हैं. उसकी चूचियों को दबाने में बहुत मज़ा आता है. ज़िया का रंग बिल्कुल दूध सा सफेद है.
ये बात तब की है, जब मैं ग्रेजुएशन कर रहा था और वो भी ग्रेजुएशन कर रही थी. हम लोग शुरू से साथ में ही पढ़े हैं. जबसे हम दोनों जवान हुए तब से मेरी उसके प्रति फीलिंग बदल गई थी. उस समय वो मेरे साथ पढ़ती जरूर थी, लेकिन मेरी जिया से बात नहीं होती थी.
उन्हीं दिनों की बात है. मुझे एक बार उसकी मदद चाहिए थी, तो मैंने उसको फ़ोन करके बोला. उसने झट से हां कह दिया और हम लोगों की हर रोज़ बात होने लगी. उसकी बातों से मुझे लगने लगा कि ये भी मेरी तरफ आकर्षित थी.
ज़िया के माता पिता नहीं हैं. वो अपने मामा के साथ रहती है. उसको एक हमदर्द की जरूरत थी, जबसे मेरी उससे बात होना शुरू हुई, तो वो मुझे अपने घर की सब बातें बताने लगी थी. उसकी मामी उससे ही घर का सब काम करवाती थीं, जिससे ज़िया बहुत परेशान थी. ज़िया मुझसे इन्हीं सब बातों को करके अपना दुःख मुझसे बांट कर बहुत हल्का महसूस करती थी.
इसी तरह मैसेज के द्वारा भी ज़िया और मैं धीरे धीरे बहुत ही ज़्यादा बात करने लगे थे. फोन से बात कम ही हो पाती थी.
एक दिन मैंने ज़िया से बोला- मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ.
उसने भी बोला- हां मैं भी तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ.
मैंने उससे कहा- ओके पहले तुम अपनी बात कहो.
मुझे लगा कि मुझे पहले जिया की मानसिक स्थिति जान लेनी चाहिए उसी के मुताबिक़ मैं अपनी बात कहता.
उसने कहा- नहीं मैं अपनी बात बाद में कह लूंगी … पहले तुम कहो, क्या कहना चाहते हो.
हम दोनों में ही ‘पहले आप … पहले आप …’ वाली स्थिति बन गई थी.
वो हंसने लगी और बोली- इस तरह से हम दोनों ही अपनी बात नहीं कर पाएंगे.
मैंने उसको हंसते हुए सुना, तो मैं समझ गया कि जिया इस वक्त अच्छे मूड में है. मैंने उससे एक बार फिर से कहा कि लेडीज फर्स्ट के अनुसार तुमको पहले कहना चाहिए.
वो बोली- जो बात मैं कहना चाहती हूँ, उसमें लेडीज फर्स्ट का चलन नहीं है. इसलिए तुम बोलो … उसके बाद मैं अपनी बात कहूँगी.
मैंने समझ लिया कि वो भी वही बात कहना चाहती है, जो मैं कहने वाला था. मैंने उससे ‘आई लव यू’ कहा.
तो उसने भरे गले से कहा- न जाने कब से इस लाइन को सुनने के लिए मेरे कान तरस गए थे … राज मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.
इस तरह हम दोनों ने एक दूसरे के सामने अपनी मुहब्बत का इजहार किया. मैं काफी देर तक उससे अपने दिल की बातें करता रहा और वो भी मेरे साथ मेरी जीवन संगिनी जैसे बातें करने लगी.
हम दोनों के बीच आपस में प्यार स्वीकृति की मुहर लगने के बाद हम दोनों के बीच बहुत ही सेक्सी बातें होने लगीं.
एक दिन वो मुझसे बोली- मैं तुमसे अकेले में मिलना चाहती हूँ.
मैंने भी हां बोल दी क्योंकि चूत की चाहत तो मुझे भी थी.
फिर वो एक रात आ गई, जिस रात हम दोनों एक हो गए, मैंने गर्लफ्रेंड सेक्स किया. उस दिन ज़िया के घर के सभी लोग शादी में गए थे. लेकिन ज़िया ने कोई बहाना बना कर जाने से मना कर दिया था. वो घर पर ही रुकी रही थी. शाम होते ही उसने मुझे फोन कर दिया और मैं उसके घर आ गया.
दरवाजे पर जो बल्ब जल रहा था, वो उसने बन्द कर दिया था, जिससे मुझे कोई अन्दर आता न देख सके.
मैं उसके घर गया, तो उसने दरवाजा खुला हुआ रखा था. उसने मुझसे फोन पर ही कह दिया था कि तुम इस बात का ख्याल रखते हुए घर में आना कि तुमको कोई पड़ोसी देख न सके.
मैंने इस बात का ध्यान रखा और उसके घर के खुले दरवाजे से सीधे अन्दर घुस गया.
मैं घर में घुसा, तो जिया ने फट से दरवाजा बंद कर दिया. मैंने पलट कर देखा, तो मैं देखता ही रह गया. आज ज़िया बहुत ही सेक्सी लग रही थी. उसने लैगी और टॉप पहना हुआ था, जो बहुत टाइट था.
मैं उसको प्यार से देखने लगा, तो वो मुस्कुरा कर बोली- अन्दर तो आ जाओ, बाद में देख लेना … अभी पूरी रात बाकी है.
उसने इतना कहकर दरवाज़ा बन्द कर दिया. मैंने उसकी तरफ बांहें पसार दीं. वो कटे हुए पेड़ की तरह मेरी बांहों में समा गई.
हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे क्योंकि हम दोनों ही प्यासे थे. दस मिनट किस करने के बाद मैं उसकी गर्दन को चूमने लगा और टॉप के ऊपर से ही उसके चुचे दबाने लगा.
वो सीत्कार करने लगी- आह आह उससस्स ऊम्म्मह!
उसकी मादक सिसकारियां हॉल में गूंजने लगीं. मैं उसको गोद में उठा कर बेडरूम में ले गया. वहां जाते ही मैंने उसको बेड पर लुड़का दिया. साथ ही मैं खुद उसके ऊपर चढ़ गया और उसको चूमने चूसने लगा. उसके पूरे शरीर को सहलाने लगा. मेरा लंड जिया की चूत फाड़ने के लिए रेडी था.
मैंने उसको इशारा किया, तो उसने मेरे कपड़े निकाल दिए. मैंने भी उसके कपड़े निकाल दिए. अब वो सफेद ब्रा और काली पेंटी में रह गई थी. जबकि मैं एकदम मादरजात नंगा खड़ा अपना लंड हिला रहा था.
वो मेरे खड़े लंड को देख कर एक पल के लिए घबरा सी गई. उसके मुँह से कुछ निकल ही नहीं रहा था.
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
वो मरी सी आवाज में बोली- तुम्हारा ये बहुत बड़ा और मोटा है.
मैंने कहा- हां ये तो तुम्हारा नसीब है कि तुमको बड़ा और मोटा मिला. वरना कुछ तो बड़ी बदनसीब होती हैं … उनको तो जरा जरा से चूहे मिलते हैं.
ये सुनकर उसको अच्छा लगा और वो मेरे लंड को बड़ी लालसा से देखने लगी. मैं उसके करीब आकर लंड को उसके मुँह के सामने हिलाने लगा.
उसने मेरी आंखों में देखा, तो मैंने उसे लंड पकड़ने का इशारा किया. उसने मेरे लंड को हाथ से पकड़ा और छोड़ दिया.
वो बोली- इसको तो बुखार चढ़ गया है.
मैंने हंस कर पूछा- कैसे मालूम हुआ … क्या तुम लंड की डॉक्टर हो?
वो मेरे मुँह से लंड शब्द सुनकर शर्मा गई और फिर से लंड पकड़ कर बोली- इसमें डॉक्टर वाली क्या बात है, ये गर्म है … इसलिए मैंने कहा कि इसको बुखार चढ़ा है.
मैंने अपने लंड पर उसके हाथ का कोमल स्पर्श महसूस किया, तो मुझे बड़ा मजा आया और मेरा लंड भी हिनहिनाने लगा.
मैंने कहा- तुम इसका बुखार उतार दो.
वो लंड सहलाते हुए बोली- कैसे?
मैंने कहा- इसको ठंडा कर दो.
वो समझ तो गई थी, लेकिन मूड में थी इसलिए वो बोली- मैं इसे ठंडा कैसे करूं … क्या इस पर बर्फ घिस दूँ?
मैंने कहा- बर्फ से तो ये और भी गर्म हो जाएगा. इसको अपने शरीर की गर्मी से ठंडा करना पड़ेगा.
वो आंखें नचा कर बोली- शरीर से कैसे?
मैंने झुंझलाते हुए कहा- इसे मुँह में लो. हो सकता है कि तुम्हारे मुँह से ही ये कुछ ठंडा हो जाए.
ये सुनते ही उसने मेरे लंड को अपने मुँह में लिया और लंड चूसने लगी. मुझे लंड चुसाई में बहुत मज़ा आ रहा था. कुछ मिनट तक जिया का मुँह चोदने के बाद मैं उसके मुँह में ही झड़ गया. उसने मेरी सारी क्रीम खा ली थी और मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल कर मुझे मेरी मलाई का स्वाद चखाने लगी.
मैंने उसके कान में कहा- अब मेरी बारी है.
वो मुझे अलग होकर बिस्तर पर चित लेट गई. मैंने उसकी ब्रा और पेंटी निकाली और उसकी चूत को चाटने लगा. उसकी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी. चुत चटवा कर ज़िया बहुत ही ज़्यादा गर्म हो गई.
जीभ से चुत चूसने के बाद मैंने उसकी चूत में पहले एक उंगली डाली, फिर दो डाल दीं और उंगली से ही उसकी चूत की चुदाई करने लगा. मैंने उंगलियों से कमसिन चूत को ढीला किया और उसके चुचे अपने मुँह में लेकर चूसता रहा. वो बड़ी मस्त आवाजें निकाल रही थी.
उसके दूध चूसते हुए मैं दांत से उसके निप्पल को काट लेता, तो वो ज़ोर से चीख पड़ती. घर में अकेले होने के कारण हम दोनों को कोई डर नहीं था. इसलिए हम दोनों खुल कर सेक्स के मज़े ले रहे थे.
जब ज़िया ज़्यादा गर्म हो गई, तो वो मुझसे बोली- राज़ अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है. अब तुम अपना लंड मेरे अन्दर डाल दो.
मैं उसको तड़पा रहा था, लेकिन जब ज़्यादा देर हो गई … तो फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धक्का दे दिया.
ज़िया की चुत नई थी … वो अनचुदी थी, इसलिए उसकी चूत बहुत टाइट थी.
हम दोनों समझ गए कि बिना चिकनाई के काम नहीं बनेगा.
मैंने जिया से तेल या क्रीम लाने का कहा. ज़िया खुद रसोई से तेल लेकर आई और उसने मेरे लंड और अपनी चूत पर लगा दिया. उसको इस समय बड़ी चुदास चढ़ी थी, इसलिए उसने चुदाई की पोजीशन में लेटते हुए मुझे अपने ऊपर खींच लिया.
मैं जब तक कुछ समझ पाता, उसने खुद ही मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर सैट कर लिया. फिर उसने मुझे इशारा किया और मैंने पूरी ताकत से धक्का दे दिया. मेरा लंड एक बार में ही उसकी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया. मैंने देखा कि मेरा आधा लंड घुस चुका था.
वो दर्द के कारण रोने लगी क्योंकि मेरा लंड 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है. वो मुझसे लंड बाहर निकालने को कहने लगी, तो मुझे उस पर तरस आ गया और मैंने लंड बाहर निकाल लिया.
उसने जब चुत से खून निकलता देखा, तो वो घबरा गई. मैंने उसको समझाया कि ये तो सामान्य सी बात है. पहली बार की चुदाई में सभी के साथ ऐसा होता है.
कुछ देर बाद जब वो नॉर्मल हो गई, तब मैंने दोबारा से लंड उसकी चूत में पेल दिया. इस बार दो प्रयासों में पूरा 8 इंच लंड पेल दिया, जिससे वो फिर से तड़पने लगी थी. लेकिन इस बार मैंने कोई रहम नहीं किया.
पूरा लंड पेल कर मैं कुछ देर के लिए रुक गया. जब उसका दर्द कम हुआ, तो वो अपनी गांड उठाने लगी. उसकी गांड की हलचल से मैं समझ गया कि यह अब चुदने के लिए राजी है. फिर मैंने धक्के देने शुरू कर दिए. मेरा लंड उसकी चूत में अन्दर तक पूरा जा रहा था.
अब वो पूरी मस्ती में ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी- फक मी फक मी हार्ड … माय बेबी … और तेज़ से चोदो … उम्म्ह… अहह… हय… याह… फाड़ दो … ये चुत लंड की बहुत प्यासी है … आह … मेरी जान.
उसकी ऐसे कामुक आवाजें मुझे और जोश दे रही थीं. मैं और तेज़ चोदने लगा. मैंने कोई 20 मिनट तक उसकी धुंआधार चुदाई की. ज़िया इतनी देर में दो बार झड़ चुकी थी.
अब मैं झड़ने वाला था, तो ज़िया से मैंने पूछा- कहां निकालूं?
उसने कहा- चूत में ही निकाल दो.
मैं दस बारह तेज शॉट मार कर उसकी चुत में झड़ गया. कुछ देर हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे से चिपके पड़े रहे और कुछ देर के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
मैं ज़िया से बोला- अब क्या ख्याल है मेरी जान..?
वो मेरे लंड की तरफ देखने लगी.
इस बार वो घोड़ी बन गई और बोली- मुझे ये पोज पसंद है.
मैं भी उसको इस पोजीशन में चोदने के लिए रेडी था. मैं उसकी गांड की तरफ आया और लंड उसकी चुत में पेल दिया. उसकी मीठी आहें और कराहें निकलना शुरू ही गईं. मैंने उसकी चूचियों को पकड़ कर उसकी 20 मिनट तक चुदाई की.
वो बोली- मुझे ऊपर आना है.
ये सुनकर मैं नीचे लेट गया और वो मेरे लंड पर बैठ कर खूब मज़े से चुदने लगी.
कुछ देर की मस्त चुदाई के बाद हम दोनों झड़ गए और यूं ही नंगे लेट गए. हमारी थकान ने हम दोनों को बेसुध कर दिया था. चूंकि हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर लेटे हुए थे … तो रात के 3 बजे, फिर से शरीर में सुगबुगाहट हुई और हम दोनों जाग गए. हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे. जल्दी ही चुदाई का मूड बन गया.
मैंने ज़िया से कहा- मुझे इस बार कुछ और भी मारनी है.
वो हंसने लगी और बोली- अब क्या बचा?
मैंने बोला- तुम्हारी गांड बहुत सेक्सी है … उसको भी खोलूंगा.
उसने हां बोल दिया.
मैंने लंड पकड़ कर उसकी गांड पर रखा लेकिन नहीं घुसा. फिर मैंने तेल उसकी गांड पर लगाया और पूरा लंड उसकी गांड में पेल दिया.
वो दर्द के मारे ज़ोर से रोने लगी और मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी. लेकिन मैंने उसको कमर से कस कर पकड़े रखा. जब उसका दर्द कम हुआ, तो वो मेरा साथ देने लगी.
फिर हम दोनों ने जम कर चुदाई की. मैंने उस रात ज़िया की गांड दो बार मारी. चार बार आगे से चुदाई की, मतलब हम दोनों ने रात में कुल 6 बार चुदाई की. सुबह 5 बजे के अँधेरे में मैं उसके घर से निकल आया.
इसके बाद हम दोनों ने कई बार चुदाई की.
दोस्तो, मेरी गर्लफ्रेंड सेक्स कहानी आपको कैसी लगी. ज़रूर बताइएगा. मेरी लाइफ की एक और रियल सेक्स स्टोरी है, वो मेरी कज़िन के साथ की चुदाई की है.
गांव की चुत चुदाई की दुनिया
गांव की चुत चुदाई की दुनिया
इस कहानी में सब जगह देसी सेक्स का खेल चल रहा है. हर कोई चोदने को तैयार है और लड़कियाँ भी लंड का मजा लेने में पीछे नहीं हैं.
दोस्तो, आपको देसी सेक्स के खेल में मजा आ रहा होगा, आपके मेल काफी गर्मागर्म मिल रहे हैं.
चलिए आगे देखते हैं कि क्या नया हुआ है.
गांव की चुत चुदाई की दुनिया- 7
में अब तक आपने पढ़ा था कि गीता को मुखिया ने अपना लंड चुसवाने के लिए रोक लिया था.
मगर तभी कुछ हो गया.
अब आगे देसी सेक्स का खेल:
“मालिक मालिक … गजब हो गया मालिक! जल्दी चलो!”
बाहर से ही कोई चिल्लाता हुआ अन्दर भागता हुआ आया, जिसे देख कर मुखिया खड़ा हो गया.
ये शिवनाथ था. उम्र 50 साल, बाकी कुछ खास नहीं. ये मुखिया का पुराना नौकर है, जो खेतों की देख रेख करता है.
मुखिया- क्या हो गया शिवनाथ, जो ऐसे भागे चले आ रहे हो?
शिवनाथ- मालिक सब काम कर रहे थे, तभी जंगल से चीखने की आवाज़ आई. हम सब भाग कर उधर को गए. थोड़ी देर तक चीखने की आवाज़ आती रही. जब हम जंगल पहुंचे, तो आवाज़ आनी बंद हो गई थी.
मुखिया- हे भगवान, आज फिर वो भूत किसी को ले गया. वैसे वो आज किसको लेकर गया?
शिवनाथ- मालिक व्व..वो कोई लड़की थी … मगर कौन थी, ये पता नहीं चल रहा है.
मुखिया- अरे ऐसे कैसे पता नहीं चल रहा है. छोटा सा तो गांव है हमारा … कौन गायब है … ये पता लगाना क्या मुश्किल है?
शिवनाथ- मालिक, पूरा गांव छान लिया हमने … कोई गायब नहीं हुआ है. वो नए दारोगा साहेब भी वहीं हैं. आप जल्दी से चलो, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा कि कौन गायब हुई है.
मुखिया- अच्छा तू चल, मैं पीछे से आता हूँ.
उसको भेज कर मुखिया ने गीता को कुछ समझाया और घर भेज दिया.
फिर खुद भी जंगल की तरफ़ चला गया.
दोस्तो ये वहां पहुंचे, उससे पहले थोड़ा पीछे चलकर सुरेश को देख लेते हैं.
और हां कालू, जो सुमन के पास जाने को निकला था, तो वहां भी कुछ हुआ है. चलो आप खुद ही देख लो.
सुरेश एक दो मरीजों को देख चुका था, तभी वहां रघु आ गया.
सुरेश- अरे आओ रघु बैठो, कैसे आना हुआ … और बताओ दवाई असर कर गई या नहीं?
रघु- हां बाबूजी, वो दवा से दर्द ठीक हो गया … और मीनू को भी दर्द में फ़र्क है. अम्म … मैं वो आपसे कुछ …
मीता को देख कर रघु थोड़ा हिचकिचा रहा था, जिसे सुरेश समझ गया.
सुरेश- मीता तुम यहीं बैठो. मैं रघु को चैक करके अभी आता हूँ.
मीता समझ गई कि रघु उसके सामने कोई बात नहीं करना चाहता है. मगर वो कहां कम थी. दोनों के जाने के बाद चुपके से उनकी बातें सुनने लगी.
सुरेश- हां रघु … अब खुल कर बताओ.
रघु- बाबूजी, आज आप हमें चुदाई के तरीके सिख़ाओगे ना … रात को कितने बजे में आपको लेने आ जाऊं?
सुरेश- हां सिखा तो दूंगा … मगर रात को ठीक नहीं. मेरे ख्याल से दोपहर का वक़्त ठीक रहेगा. तुम एक काम क्यों नहीं करते. दो से पांच क्लिनिक बंद रहता है. तुम दो बजे मीनू को यहीं ले आओ. यहां किसी के आने का डर भी नहीं रहेगा … और मैं तुम्हें ठीक से सब सिखा भी दूंगा.
रघु ने पूछा- कोई आ गया तो गड़बड़ न हो जाएगी?
तब सुरेश ने उसको समझा दिया कि क्लिनिक बंद करके ही मैं सब सिखाऊंगा. बस फिर क्या था रघु खुश होकर वहां से चला गया और सुरेश वापस बाहर आ गया.
मीता- ये अपने क्या किया … दोपहर को तो आप मुझे मज़ा देने वाले थे ना!
सुरेश- मीता, मैं एक डॉक्टर हूँ. सबसे पहले मरीज, उसके बाद बाकी सब … और वैसे भी मैंने उनको यहां तेरे लिए ही तो बुलाया है … ताकि तू भी चुदाई देख सके … समझी!
मीता- समझ गई बाबूजी, अब तो बस खूब मज़ा आएगा.
वो दोनों बातें कर रहे थे, तभी सुरेश की नज़र कालू पर पड़ गई, जो जा रहा था.
सुरेश ने उसको आवाज़ लगाई और वो अन्दर आ गया.
कालू- जी बाबूजी कहिए, कोई काम है क्या?
सुरेश- अरे नहीं बस ऐसे ही हाल चाल पूछने के लिए आवाज़ दे दी. वैसे किधर जा रहे हो?
कालू ने थोड़ी देर सोचा, फिर अपने दिमाग़ का जादू दिखा दिया.
कालू- मैं ठीक हूँ बाबूजी … बस हवेली की तरफ़ जा रहा था. वो मुखिया जी ने कहा है कि मैडम जी बड़ी हवेली में अकेली हैं उनको पूछ आओ कि कोई काम तो नहीं है.
सुरेश- मुखिया जी बड़े अच्छे इंसान हैं वैसे तो ऐसा कोई काम नहीं है. फिर भी तुम पूछ आओ … और हां जा रहे हो, तो मेरा भी एक काम करना. सुमन को बोल देना कि आज मैं दोपहर में घर नहीं आ पाऊंगा. थोड़ा क्लिनिक का काम है, तो वो खाना खा ले, मेरा इन्तजार ना करे. ठीक है … याद से बोल देना.
कालू- ठीक है बाबूजी … याद से कह दूंगा.
कालू के जाने के बाद मीता ने कहा- आप बहुत होशियार हो. मीनू के बाद मुझे मज़े दोगे, इसलिए घर नहीं जा रहे हो.
सुरेश- हां मीता सही कहा … अब गौर से सुन. तेरे सामने वो दोनों कुछ नहीं करेंगे, तो तुझे उनके सामने घर जाना है और वैसे भी तू अगर घर नहीं गई, तो शायद तेरी मां यहां आ जाए. इसलिए तू जल्दी चली जाना … और चुपके से पीछे के दरवाजे से आ जाना.
सुरेश ने उसको समझा दिया कि सब कैसे करना है.
उधर मुखिया जंगल में पहुंच गया. जहां पहले से बलराम के साथ बहुत लोग थे.
बलराम- आइए मुखिया जी, अब आप ही कुछ करो … बहुत बड़ी उलझन हो गई है.
मुखिया- मैंने शिवनाथ से पता किया है. गांव की तो कोई लड़की गायब नहीं हुई.
बलराम- वो तो मैंने भी पता किया है. मगर एक लड़के ने उस भूत को लड़की को उठाकर ले जाते देखा है.
मुखिया- क्या … कौन सा लड़का है. फिर कैसी उलझन … वो बता सकता है कि कौन लेकर गया और लड़की कौन थी? गांव का लड़का तो सारी लड़कियों को जानता ही होगा.
बलराम- यही तो रोना है, वो सामने खड़ा है. हमने तो उससे पूछ लिया. आप भी एक बार कोशिश कर लो.
मुखिया ने जब लड़के की तरफ़ देखा, तो उसका भी माथा ठनक गया.
दोस्तो ये अमित है. इसकी उम्र 18 साल है. ये जन्म से गूंगा बहरा है … और थोड़ा भोला भी है यानि दिमागी कमजोर है.
मुखिया- देखा भी तो किसने देखा. ये गूंगा बहरा हमें क्या बताएगा … और इसने देखा भी होगा, तो ये तो भोला है, कहां किसी को जानता होगा.
बलराम- सभी बोल रहे हैं कि आपका आदमी कालू इसकी इशारों की भाषा समझता है. उसको बुलाओ, शायद कुछ सुराग मिल जाए.
मुखिया- वो किसी काम से गया हुआ है … बस अभी सीधे यहीं आएगा.
अमित को गांव वालों ने घेर रखा था. वो सबको बताने की कोशिश कर रहा था. मगर कोई समझ नहीं पा रहा था.
उधर कालू सीधा सुमन के पास पहुंच गया और मुखिया का पैगाम सुना दिया. साथ ही सुरेश की बात भी बता दी.
सुमन- ये बहुत अच्छा हो गया. अब सुरेश से झूठ बोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी. वैसे उस दिन तुम कुछ बता रहे थे, वो बात बीच में अधूरी रह गई थी.
कालू- कौन सी बात मैडम जी, मुझे याद नहीं आ रही.
सुमन- तुम बता रहे थे ना अपनी भांजी के बारे में.
कालू- हां बताया था ना … वो शहर में पढ़ाई कर रही है.
सुमन- तुम्हारी बहन के बाद तुमने उसको पाला, तो उसके पिता कहां हैं?
कालू- मेरी बहन के गम में वो दूसरे दिन उसके पास चले गए.
सुमन- ओह मुझे पता नहीं था. माफ़ करना. चलो ये बातें जाने दो, अपने गांव के बारे में कोई और बात बताओ.
कालू- क्या बताऊं मैडम जी, कभी फ़ुर्सत में बताऊंगा. अभी खेत जाना है, फिर वापस आपको लेने भी आना है. बहुत काम हैं
सुमन- चलो ठीक है जाओ तुम, मैं भी तैयारी करती हूँ. मगर एक बात कहूं … मुझे तुम ग़लत मत समझना. ये सब मैं सिर्फ़ मुखिया जी को मुसीबत से बचाने के लिए कर रही हूँ.
कालू- मैं जानता हूँ मैडम जी, मुखिया जी का कोई राज़ मुझसे छुपा नहीं है. आप बहुत अच्छी हो मैडम जी.
सुमन- ऐसी कोई बात नहीं है. अच्छा तुम जाओ, तुम्हें देरी हो जाएगी.
कालू वहां से सीधा जंगल के रास्ते निकल गया और वहां उसको खबर मिली कि आज फिर कोई लड़की गायब हो गई.
बलराम- आओ भाई कालू … हमको तो इस अमित की बातें समझ नहीं आ रही हैं. सुना है तुम इसकी बातें समझ जाते हो.
कालू ने इशारे से अमित को पूछा कि उसने क्या देखा?
तो अमित ने कालू को बताया जो मैं आपको लिख कर बता रही हूँ.
अमित- मैं यहां से जा रहा था, तभी एक काला भूत, जिसका चेहरा गला हुआ था … खून उसके मुँह से टपक रहा था. उसके बड़े बड़े से दांत थे. वो सामने की झाड़ी के पास एक लड़की को कंधे पर डाले हुए जा रहा था. मैं तो उसको देख कर बहुत डर गया … और इस पेड़ के पीछे छिप गया.
कालू ने इशारे से पूछा कि वो लड़की कौन थी?
अमित- वो लड़की गांव की ही थी … मगर उसकी शक्ल नहीं देख पाया. हां उसकी उम्र ज़्यादा नहीं थी, यही कोई 19 साल की होगी. उसके कपड़े भी फटे पुराने थे.
अमित की सारी बातें कालू ने गांव वालों के सामने बलराम को बताईं.
बलराम- पहेली तो वहीं की वहीं है. गांव से कोई लड़की गायब नहीं हुई और ये गूंगा बोल रहा है कि उसने खुद देखा है.
मुखिया- चलो जाने दो, गांव की लड़की नहीं होगी … शायद पास के गांव से कोई आई होगी. चलो सब अपने काम पर जाओ … बहुत तमाशा लगा दिया. यहां से सब जाओ.
सब वहां से चले गए. अब सिर्फ़ मुखिया, कालू, नंदू और बलराम ही वहां खड़े हुए थे.
बलराम- मुखिया जी, ये सब रोको … मुझे आगे भी जवाब देना पड़ता है. साला ये भूत आख़िर चाहता क्या है?
मुखिया- मैं कैसे रोक सकता हूँ साहेब, आप ही कोई जुगाड़ लगाओ.
बलराम- हम्म … लगता है मुझे ही अब इस भूत को पकड़ने की कुछ प्लानिंग करनी होगी … मगर दिमाग़ हल्का हो तो कुछ सोचूं ना.
मुखिया- आपके दिमाग़ को हल्का करने का जिम्मा हमारा है. आज रात आप मेरे मेहमान हो. रात का खाना कोठी पर खाना … और उसके साथ आपकी पसंद की चीज भी वहीं आपको मिल जाएगी.
बलराम- वाह क्या बात है मुखिया जी. आप तो महान हो, बस आप ऐसे हमारा ख्याल रखते रहो. वक़्त आने पर हम भी आपकी सेवा जमकर करेंगे.
मामला फिट हुआ तो मुखिया ने कालू की तरफ देखा.
कालू ने मुखिया को सब बताया और इसके बाद कालू सीधा हरी के पास चला गया. कालू ने उसको सुमन की शर्त बता दी, जिसे सुनकर हरी बहुत खुश हो गया.
हरी- अच्छा तो शहरी मैडम को दारू पसंद नहीं है. मैं तो साला बिना पिए कभी किसी को नहीं चोदता … मगर आज उस मैडम को तो ऐसे ही चोदूंगा.
कालू- एक बात का ध्यान रखना हरी, वो कोई रंडी नहीं है … कोई बदतमीज़ी ना करना … और पहले उनको खुश करना. उसके बाद जैसे चाहे चोद लेना.
हरी- आप फ़िक्र मत करो, बस मेरा कमाल देखना, कैसे साली को आज की चुदाई से अपना गुलाम बना लूंगा.
कालू वहां से चला गया. उधर 2 बजने से पहले सुरेश ने मीता को घर भेज दिया कि वो खाना खा आए और वापस कैसे छिप कर आना है, सब उसको समझा दिया.
उधर 2 बजे रघु अपनी पत्नी मीनू को लेकर क्लिनिक आ गया और जैसा तय हुआ था, सुरेश ने क्लिनिक आगे से बंद कर दिया और पीछे के दरवाजे से अन्दर आ गया.
सुरेश- हां भाई रघु, अब हमें परेशान करने अन्दर कोई नहीं आएगा.
रघु- अच्छा किया बाबूजी आपने, अब हमें क्या करना है?
सुरेश- बताऊंगा भाई … इतनी जल्दी क्या है. और ये जो चुदाई है, ये दुनिया का सबसे अच्छा खेल है. इसको तो बड़े प्यार से धीरे धीरे खेलना चाहिए, तभी इसका असली मज़ा आता है. नहीं तो जल्दबाज़ी में सारा काम चौपट हो जाता है. जो तुमने किया था. क्यों मीनू … मैं सही कह रहा हूँ ना!
मीनू- हां बाबूजी एकदम सही कह रहे हो. हम दोनों को कुछ नहीं आता. तभी तो दोनों को तकलीफ़ हुई.
सुरेश- अब कैसी है तुम्हारी चुत … वहां सूजन कम हुई!
सुरेश ने सीधे चुत कहा, तो मीनू शर्मा गई … क्योंकि रघु भी वहीं था.
सुरेश- मीनू मैंने समझाया था ना … मुझसे मत शर्माओ, ऐसे तो कभी नहीं सीख पाओगी. चलो बोलो अब.
रघु- हां मीनू, ये तो हमारी मदद कर रहे हैं … इनसे कैसी शर्म!
मीनू- अब उधर सूजन नहीं है … और दर्द भी नहीं हो रहा है.
सुरेश- बहुत अच्छी बात है. अब रघु ध्यान से सुनो, मैं मीनू के साथ ये खेल शुरू करता हूँ. तुम सब गौर से देखो और सीखो … समझे!
रघु- हां बाबूजी, आप करके बताएंगे, तो जल्दी समझ आ जाएगा.
सुरेश- एक बात पर ध्यान देना रघु, ये खेल कामक्रीड़ा है, तो इसमें मुझे मीनू के सभी अंगों को छूना चूसना मसलना ये सब करना होगा. कहीं तुम्हें बुरा लग जाए कि कोई गैर मर्द तुम्हारी पत्नी के साथ ऐसे कर रहा है … और शायद मीनू को भी बुरा लगे.
सुरेश आगे बोलता, तभी मीनू बोल पड़ी- नहीं बाबूजी, मुझे कुछ बुरा नहीं लगेगा. आप जैसा चाहो कर लेना और इनको भी नहीं लगेगा … क्यों जी आप भी बोलो.
रघु- हां बाबूजी, इसमें बुरा क्या लगना. आप सब अच्छी तरह सिख़ाओ. यहां तक की आप मीनू की चुदाई भी करके बताओ कि ऐसे चोदना है. बस अपना बीज इसके अन्दर मत डालना … बाकी आप सब कुछ करो.
लो जी गाँव का सीधा साधा आदमी अपनी बीवी को गैर मर्द से चुदवाने के लिए राजी हो गया.
अब इसकी चुदाई की कहानी आगे लिखूंगी, तो आपका लंड भी टनटन करने लगेगा.
दो टीचर ने मुझे सैंडविच बना कर चोदा
दो टीचर ने मुझे सैंडविच बना कर चोदा
हॉट टीचर सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मुझे दो अध्यापकों ने एक साथ कैसे चोदा. कोचिंग क्लास में मेरे टीचर की नजर मेरे ऊपर थी. एक दूसरे टीचर को मैं पसंद करने लगी थी.
मेरे प्यारे प्यारे दोस्तो, मैं अन्तर्वासना की सेक्स कहानियों को बहुत पसंद करती आयी हूँ. इसी लिए आज मैं अपनी दूसरी भूल हॉट टीचर सेक्स स्टोरी को आप लोगों के साथ शेयर करना चाहती हूँ.
मेरी पहली कहानी
मेरी चुत की चुदाई कार में
को आप लोगों ने बहुत पसंद किया और मुझे आपके ढेरों मैसेज मिले.
अपने नए साथियों को मैं पहले अपने बारे में फिर से बता देती हूँ. मेरा नाम मीना है और मैं 24 वर्ष की कुंवारी लड़की हूँ. मेरी फिगर का साईज 32-28-36 है व ऊंचाई 5 फुट 1 इंच है. मैंने नर्सिंग की पढ़ाई की हुई है. मैं शहडोल के एक निजी अस्पताल में नौकरी करती थी.
शहडोल में मैं बार-बार अपने भाई दीपक से चुद चुकी हूँ. उससे आगे चुदने की आशंका में मैंने अपने बॉय फ्रेंड डॉक्टर आशू को बताया तो उसने मुझे रायपुर में बुला लिया और वहाँ एक कोचिंग सेंटर में मुझे सरकारी जॉब के लिए परीक्षा की तैयारी में लगा दिया.
उधर के माहौल में मुझे ढलने के लिए कुछ दिन लगे. चूंकि मेरी बेसिक जानकारी डॉक्टर आशु के कारण अच्छी थी. तो कोचिंग क्लास में सब अच्छा चल रहा था.
दोस्तो, मेरी क्लास में एक राज सर हैं, जो पढ़ाई तो अच्छी कराते हैं. लेकिन उनका ध्यान बीच बीच में मेरे उभारों पर आ जाता था. क्योंकि मैं सबसे सामने बैठती थी. वो मुझे अच्छे नियत के नहीं लगते थे, इसलिए मैं उनपर कभी ध्यान नहीं देती थी.
उनके अलावा एक सर और थे सुदेश … वे भी मुझे पढ़ाते थे.
सुदेश सर एक साफ दिल के शिक्षक थे और बहुत फ्रेंडली नेचर के होने के कारण मैं उनसे बहुत क्लोज हो गयी. सुदेश सर मानो अब मुझे ही देख कर पढ़ाने लगे थे. मुझे उनका यूं देखना अच्छा भी लगने लगा था.
ऐसा होता है कि कोई कोई की नजरें अच्छी लगती हैं और किसी की नजरों से नफरत सी होने लगती है.
एक दिन सुदेश सर ने क्लास से एक प्रश्न पूछा और बोले- जो इसका सही उत्तर देगा … मैं उसे आज बाहर डिनर पर ले जाऊंगा.
इत्तेफाक से मुझे प्रश्न का उत्तर पता था और मैंने फट से जवाब दे दिया. सुदेश सर ने सारी क्लास के सामने मेरी बड़ी तारीफ़ की. इससे मुझे बड़ा अच्छा लगा.
क्लास खत्म होने के बाद सर ने मुझे पास के होटल में 8 बजे खाने बुलाया.
तो मैं खुश हो गयी.
मैं शाम के 8 बजने का इंतजार करने लगी. मैं सुदेश सर से इतनी अधिक थी कि बता ही नहीं सकती.
शाम 7 बजे से ही मैं तैयार होने लगी. उस दिन मैंने एक टाईट लैगी के साथ खुल गले वाली कुर्ती पहनी थी, जिसमें से मेरे उभार बाहर से ही साफ़ दिखाई पड़ रहे थे.
ठीक 8 बजे मैं होटल पहुंच गयी और सर को देखने लगी.
मगर सर तो वहां पहले से ही मेरे इंतजार में आ चुके थे. उन्होंने मुझे आवाज दी. मैंने उन्हें देख कर खुश हो गयी. अब हम दोनों टेबल पर आमने सामने बैठ गए थे.
उसी समय सर की नजरें मेरे मम्मों को देखने लगीं.
मैंने सर से पूछा- क्या हुआ सर … कुछ गलत है क्या?
मुझे समझ तो आ रहा था, तब भी मैंने उनका ध्यान बंटाने के लिए ऐसा पूछा था.
सुदेश सर- कुछ नहीं मीना … आज आप बहुत सुंदर लग रही हो और ध्यान आकर्षित कराने वाली हो.
मैंने कहा- क्यों मजाक करते हो सर … मुझमें ऐसा कुछ भी नहीं है.
सुदेश सर मेरी बात पर हंस पड़े और इतने में वेटर आ गया. हम दोनों की बात खत्म हो गई. वेटर से सर से खाने का आर्डर लिया और चला गया.
सर फिर से मेरे जिस्म की तारीफ करने लगे और बोले- मैंने कभी इतने गौर से तुम्हें देखा ही नहीं था.
मैंने कहा कि आप कभी गौर करते ही नहीं थे.
कुछ देर में ही खाना आ गया और हम खाना खाने लगे. खाना होने के बाद सर ने बिल पेमेंट किया और मुझे छोड़ने के लिए बोले, तो मैं राजी हो गयी.
मेरे रूम तक पहुंचा कर सर ने पूछा- खाना कैसा लगा, आपने बताया नहीं.
मैंने कहा- खाना आपके हाथ का बना होता और आपके हाथ से खाने मिलता तो अच्छा लगता.
सर को मेरा इशारा तुरंत समझ आ गया और उन्होंने कसके मेरा हाथ पकड़ कर कहा कि आगे ऐसा ही होगा.
मैं मुस्कुरा दी और सर चले गए.
दो दिन तक सामान्य क्लास चलती रही और सर की तरफ से मुझे कोई संकेत नहीं मिला, तो मुझे लगा सर कुछ नाराज हो गए हैं शायद.
मैंने क्लास के बाद उनसे पूछा- आप मुझसे नाराज हैं क्या?
उन्होंने कहा कि मैं आपको घर बुलाना चाहता हूँ खाने पर … लेकिन बोल नहीं पा रहा हूँ.
मैं हंसते हुए बोली- तो सर इसमें हिचक कैसी … जब आप बोलोगे, मैं आ जाऊंगी.
ये सुन सर खुशी खुशी बोले- तो ठीक है आज ही आ जाओ आप.
मैंने भी हामी भर दी.
मैं 7 बजे ही सर के घर चली गयी. सर अकेले रहते थे, लेकिन उनका रूम बड़ा साफ सुथरा था. सर ने मुझे अपने कमरे के बेडरूम में बैठने के लिए बोला.
सर का बेडरूम एसी चलने के कारण बहुत ठंडा था.
सर मेरे आने से पहले ही खाना बना चुके थे. तो वे मेरे साथ बैठ कर बातें करने लगे. उस दिन मैं पिंक शर्ट और जींस में बहुत हॉट लग रही थी, इसलिए सर का ध्यान बार बार मेरे उभारों पर जा रहा था.
आखिर सर ने बोल ही दिया कि मीना आज तुम बहुत हॉट लग रही हो और मन कर रहा कि तुम्हें खा जाऊं.
मैं मुस्कुरा दी, तो सर में हिम्मत आ गई और उन्होंने मेरा हाथ थाम कर अपनी ओर खींच लिया.
मैंने कहा- सर, ये आप क्या कर रहे हैं.
उन्होंने लरजती आवाज में बोला- मीना आज मुझे मत रोको, मैं तुम्हारे दिन रात सपने देखता आया हूँ.
उनके मुँह से ये सुन कर मैं फिर से मुस्कुरा दी. तो सर एकदम से एक्टिव हो गए और वे मुझे अपनी बांहों में लेकर पागलों की तरह चूमने लगे.
अब मैं भी गर्म हो गयी थी और उनका साथ देने लगी. काफी दिन से लंड नहीं मिला था, तो मुझे भी चुदास चढ़ रही थी.
सर ने मेरी शर्ट के बटन खोल कर उसे मेरे बदन से अलग कर दिया. अन्दर मैं काले रंग की ब्रा में उनके सामने थी. मेरे उभारों को देख वो पागल से हो गए और मेरे उभारों को मसल मसल कर मजे लेने लगे.
कुछ देर बाद सर ने मेरी ब्रा और जींस पैंटी आदि को उतार फेंका. अब मैं उनके सामने पूरी नंगी थी.
सर एकदम पागलों की तरह मेरे होंठों को, मम्मों को, कानों को चूमते हुए नीचे आ गए और मेरी चुत चाटने लगे.
मैं सिर्फ मादक सिसकारियां ले रही थी- आह्ह ओह्ह आह्ह सुदेश!
पागल हो गयी थी मैं!
फिर सुदेश सर ने 69 पॉजिशन में आकर अपने लंड को मेरे मुँह में डाल दिया. अब मैं भी लंड चूस कर सुदेश सर को मजे दे रही थी. सुदेश सर का लंड बहुत मोटा था, जिसे मुँह में लेना मुझे अच्छा लग रहा था.
कुछ देर की लंड चुत की चुसाई से सुदेश बहुत गर्म हो गए थे. मुझे भी सर का लंड चुत में लेने का दिल करने लगा था.
सर ने मुझे चित लेटाया और मेरे पैरों को फैला दिया. फिर अपने लंड में थूक लगा कर मेरी चुत फाड़ने की तैयारी करने लगे. पहले तो सर मेरी चूत की फांकों में लंड को रगड़ने लगे.
मैं मदहोशी में सिसकारियां ले रही थी. मुझे कहीं न कहीं हल्का सा डर भी था कि इतना मोटा लंड कहीं मेरी चूत फाड़ न दे.
आखिर सुदेश सर ने एक जोर का एक झटका दे दिया, तो उनका आधा लंड अन्दर घुस गया. मैं एकदम से चिल्ला उठी. सर रुक गए और मेरी चूचियों को चूसने लगे. फिर सर ने दो झटकों में पूरा अन्दर घुस गया. लंड पूरा अन्दर घुसा, तो मैं चिल्ला उठी.
सर ने मेरे होंठों को चूमते हुए जोर जोर के झटके देने लगे. मैं पानी पानी हो गयी थी … क्योंकि मेरी ऐसी चुदाई आज तक किसी ने नहीं की थी.
मैं भी अब अपनी कमर हिला हिला कर सुदेश सर की मदद करने लगी. मैं जल्द ही झड़ गयी, लेकिन सुदेश सर मुझे चोदते ही रहे.
सुदेश सर ने अब मुझे डॉगी स्टाईल में आने का कहा. मैं झट से उठ कर कुतिया बन गई और सर मेरे पीछे से लंड पेल कर मेरी चुत चोदने लगे. उनका लंड मुझे अपनी चुत में पिस्टन की तरह चलता हुआ महसूस हो रहा था. चूंकि मैं एक बार झड़ चुकी थी तो मुझे अब कुछ ज्यादा ही मजा आने लगा था. तभी सर ने आगे हाथ लाकर मेरे मम्मों को पकड़ लिया और मम्मों को मसलते हुए जोरों के झटके देने लगे.
लगभग आधे घण्टे तक मेरी चुत चोदने के बाद वो भी शांत हो गए. सर ने मुझे अपनी बांहों में सुला लिया और हम दोनों लम्बी लम्बी सांसें लेते हुए मुस्कुराने लगे.
करीब पांच मिनट बाद सर के घर की घंटी बजी, तो सर ने मुझे साईड कर दिया और खुद एक तौलिया लपेट कर दरवाजा खोलने चल दिए.
जब बहुत देर तक सुदेश वापस नहीं आए तो मैंने एक आवाज लगा ही दी- सुदेश … क्या हुआ … कौन आया था?
तभी बेडरूम का दरवाजा खुला तो मैंने समझा सर आए हैं. मैंने आंखें खोलीं और क्या देखती हूँ कि सामने राज सर खड़े हैं.
उन्हें देख कर मैं चौंक गयी और समझ गयी कि ये इन दोनों का कोई प्लान था.
उसी समय पीछे से सुदेश सर आए और बोले कि मीना राज आपसे कुछ बात करना चाहते हैं. आप दोनों बातें करो, तब तक मैं खाना गर्म करता हूँ.
मैं कुछ नहीं बोली.
तो राज सर मेरे करीब आकर बैठ गए.
मैंने पूछा- क्या बात करनी है आपको?
राज सर ने कुछ देर तक मुझे देखा, फिर मेरे कम्बल को एक झटके में फेंक दिया. अब मैं पूरी नंगी उनके सामने थी, तो मैंने अपने हाथों से अपने उभार ढकने की नामुमकिन कोशिश की.
राज सर भूखे शेर की तरह अपने कपड़े हटाने लगे. उन्होंने खुद को नंगा किया और मुझपर टूट पड़े. मैं बस उन्हें किसी तरह से झेल रही थी.
राज सर बोले- मीना, मेरे लंड में क्या कांटे लगे हैं … एक बार मन से मेरे लंड को लेकर तो देखो … मजा न आए तो कहना.
मैं अब तक समझ गई थी कि आज राज सर भी मुझे चोद कर ही मानेंगे. तो मैंने भी मन बना लिया और विरोध करना छोड़ दिया.
सर से चूम चूम कर मुझे फिर से गर्म कर दिया और अपने लंड को मेरे मुँह में डाल कर लंड चूसने को बोलने लगे.
राज सर का लंड वाकयी बहुत लम्बा था … जिसके कारण मुझे पूरा लंड लेने में उबकाई सी भी आ रही थी.
मैंने कहा- अब रहने दो सर.
तो राज सर ने भी ज्यादा समय नहीं लिया और मुझे अपनी गोद में बैठा कर अपने लंड को मेरी नाजुक चूत में बेदर्दी से डाल दिया.
फिर वो मेरे मम्मों को चूसते हुए बोले कि मीना मैं तुम्हें पाने के लिए न जाने कब से तड़प रहा था. इसलिए सुदेश के साथ तुम्हें चोदने का हमारा प्लान बन गया था.
मैं अब तक मादक सिसकारियां लेने लगी थी. आज सर का लंड मेरी बच्चेदानी तक चोट मार रहा था.
फिर राज सर ने मुझे गोद में उठा कर चोदना शुरू कर दिया और मुझे उछाल उछाल कर चोदने लगे. मेरे दूध राज सर के सीने से रगड़ खा रहे थे और मैं गिरने के डर से राज को कसके पकड़ी हुयी थी.
कोई दस मिनट की चुदाई के बाद राज सर झड़ने वाले थे, तो उन्होंने मुझे वापस चित लेटाया और अपनी बांहों में भरके जोरों के झटके मारने लगे. मेरी टांगें भी हवा में उठ गई थीं. मुझे भी झड़ने की सीमा करीब दिख रही थी. तभी राज सर ने लंड से पिचकारियां देनी शुरू कर दीं और वो झड़ कर मेरे ऊपर ही ढेर हो गए.
फिर हम दोनों उठे, राज सर ने आवाज दी, तो सुदेश खाना लेकर अन्दर आ गए.
कमरे में आए तो राज सर ने कहा- अरे यार, कुछ गला तो तर कराओ.
सुदेश सर ने हंसते हुए एक अलमारी से व्हिस्की की बोतल और तीन गिलास निकाले. फिर हम तीनों ने साथ में दो दो पैग लिए. इसके बाद हमने साथ में ही खाना खाया.
खाने के बाद कुछ देर टीवी देखा. फिर अचानक दोनों मुझे एक साथ सहलाने लगे. राज सर मेरे मम्मों को चूसने लगे और सुदेश पीठ चूमने लगे. मेरे गर्म होने के बाद सुदेश सर चित लेट गए और मुझे ऊपर आने को बोले. मैं भी व्हिस्की के दो पैग लेने के बाद मस्त हो गई थी और मुझे अपनी चुत गांड में खुजली होने लगी थी.
मैंने सुदेश सर के लंड को पकड़ अपनी चुत में डाल कर बैठ गयी, तो सुदेश सर ने मुझे खींच कर अपनी बांहों में ऐसे भरा कि मेरी गांड उठ गयी. पीछे से राज सर ने मुझसे चिपक कर अपने लम्बे लंड को मेरी गांड में डाल दिया. एक साथ दो लंड से मैं दर्द से चिल्ला उठी.
सुदेश सर मेरे होंठों को चूमने लगे. अब सुदेश सर मेरी चुत चोद रहे थे और राज सर पीछे से मेरी गांड में झटके मारने में लगे थे. वैसे तो मैं गांड मरवा चुकी थी लेकिन आज पहली बार एक साथ दो लंड अपनी गांड और चुत में एक साथ ले रही थी.
करीब आधा घंटे तक मुझे दोनों छेदों में चोदने के बाद वे दोनों शांत हुए.
उनके हटने के बाद मेरी जान में जान आयी और हम तीनों एक एक पैग लेकर साथ में सो गए.
सुबह मैं वापस अपने कमरे पर चल दी.
दोस्तों अब सुदेश सर अब मुझे फिर से बुलाना चाहते हैं. मेरे बॉयफ्रेंड डॉक्टर आशु को ये बात पता नहीं है. जब उन्हें पता चलेगा, तो क्या होगा, मैं ये सोच कर डर रही हूँ.
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